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दिल के चंद एहसास



कैसे छोड़ दें इस गम को, 
ये सहारे बने हुए हैं।। 
डूबते राही की,
आस के किनारे बने हुए हैं।। 
लोग कहते हैं, छोड़ के इस गम को, 
मुस्कुराना सीखो।। 
पर उन्हें क्या पता, ये गम ही, 
हंसी के तराने बने हुए हैं।।


----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---

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2 Comments

Sachin dev

17-Dec-2022 04:09 PM

Lajavab 🌺

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Gunjan Kamal

17-Dec-2022 02:39 PM

शानदार

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